Tuesday 22 September 2015

आगे सफर था और पीछे हमसफर था

आगे सफर था और पीछे हमसफर था...
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी...
ए दिल तू ही बता...उस वक्त मैं कहाँ जाता...
मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....
यूँ समँझ लो ‪#‎GURU‬....
प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...

जिस 'चाँद' के हजारों हो चाहने वाले...
वो क्या समझेगा एक सितारे की कमी को....!!

इबादत में न हो गर फ़ायदा तो यूँ भी होता है,
हर नई मन्नत पे दरगाहें बदलती हैं...

कोई चेहरे का दीवाना,तो किसी को तन की तलब,
अदाएँ पीछा करवाती है,आजकल मोहब्बत कौन करता है?????

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा;
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा;
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गई;
दिल-ए-नादाँ मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा।

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