Saturday 29 August 2015

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते

अगर तुम टूटने के दर्द को महसूस कर जाते,
तो क्या खुद एक पल में टूटकर इतना बिखर जाते...
रिदाएँ गर्द की जब तब हटाते आइनों से तुम,
दिलों के फाँसले मिटते कई रिश्ते सँवर जाते...
झुलसते जिस्म फसलों के उमड़ती प्यास धरती की,
चिढ़ाते बे वफ़ा बादल इधर जाते उधर जाते...
पहेली सी बने फिरते बड़े मदमस्त ये बादल,
कहीं ख़ाली गरजते उफ़ कहीं हद से गुजर जाते...
तुम्हारे झूठ के छाले लगे रिसने सफ़र लम्बा,
सदाक़त की यहाँ है छाँव पल भर को ठहर जाते...
मुहब्बत के दरीचों से जरा सी धूप मिल जाती,
छतों की झिरकियाँ पटती मकाँ उनके सुधर जाते...
जिया ख़ुर्शीद की उनकी तरफ भी मुस्कुरा देती,
उजाले उन अभागों के चिरागों में उतर जाते...
ये कैसे फेंसले मालिक कँही सूखा कँही जल थल,
न चौखट पे तेरी आते बता तू ही किधर जाते...

रिदाएँ –चादरें
सदाक़त= सच्चाई
दरीचों ==खिड़कियों
जिया =किरण ,चमक ,रोशनी
ख़ुर्शीद=सूर्य

उसकी कत्थई आँखों में

उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
इश्क विश्क के सारे नुस्खे मुझसे सीखते है
हैदर वैदर,ताहिर वाहिर,मंज़र वंजर सब...

एक बंध मेरी सभी बहनों को

एक बंध मेरी सभी बहनों को समर्पित करता हूँ.....
शुभम् सचान की तरफ से आप सभी को रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनायें

मन की बात : शुभम् सचान "गुरु" के साथ...

राखी के समय एक विचार आया मन मे
मैने भी सँजोया कविता को जहन मे
बहनों की राखियाँ बँधे भाई के हाथ मे
बाँटेंगे हम भी प्यार को बहनों के साथ मे
लेकिन पता नहीं क्यों ये पाँसा उलट गया
विधि का विधान कैसा ये ब्रम्हा उलट गया
चूनर थी माँ की उससे आग सेंकता रहा
बहनों की आबरु गई वो देखता रहा
शर्मों के द्वार मेरे लिये बंद हो गये
मेरे घर मे ही मेरे पाँव जरा मंद हो गये
सोचा नही था मैने की हो जायेगा ऐसा
बहनो से बढ़कर देश मे हो जायेगा पैसा
देखो समाज सो गया है ओढ़कर चादर
वो भूल गया माँ,बहन और बेटी का आदर
दौलत के पुजारी यहाँ बहुओं को मारते
खुदगर्ज बाप बेटियों को जिंदा गाड़ते
सोचा था कि डोली मे बैठ घर को जायेगी
बहनो के हाथ मेंहदी भी रचाई जायेगी
लेकिन नही इन सपनो को साकार कर सका
राखी के प्यार का न मै उपकार कर सका
बाबुल के घर क्या इसलिये पलती है बेटियाँ
दहेज की चिताओं मे जलती है बेटियाँ
बेटी का घर संसार तो सपने मे बसता है,
भारत मे एक भारत ऐसा भी बसता है॥

Tuesday 18 August 2015

"अब तक छप्पन - व्यापम"

तय हो गया है जान जायेगी मेरी।
मुहब्बत उससे की है व्यापम घोटाले की तरह।

अनारकली को सिर्फ इसलिए दीवार में चुनवा दिया गया,
क्योंकि उसे भी व्यापमं घोटाले के राज़ पता थे।
व्यापम ना हुआ कोई दैवीय प्रकोप हो गया !!!!

एक रिसर्च से पता चला है,
कि लोग व्यापम घोटाले वाली पोस्ट्स को भी लाइक करने से डर रहे हैं,
उन्हें डर है कि कहीं उनकी भी रहस्य्मय ढंग से मौत ना हो जाये...

एक फ़िल्म बनाने की सोच रहा हूँ जिसके हीरो CM शिवराज जी होंगे,
फ़िल्म का नाम होगा "अब तक छप्पन - व्यापम"...

Whole world is the VyapamScam. 
एक दिन सब मर जाएंगे...

अब तो व्यापमं के एक्जाम देने में भी डर लगता है,
क्या पता एडमिट कार्ड के पहले शोकपत्र छप जाए...!!

टीचर-ऐसी घातक बीमारी का नाम बताओ,
जिसमें आदमी की अचानक मौत हो जाती है...??
स्टूडेंट- -व्यापमं...!!

अब ये किसने बोला,
कि व्यापम पे पोस्ट करने वालो की भी हत्या हो सकती है...??

और इसी बीच CBI वालो ने व्यापम घोटाले की जांच करने से मना कर दिया!!!
कहा हमें अपनी जान प्यारी है।

अब तो दाऊद इब्राहिम को मारने का एक ही तरीका बचा हैं...
उसका नाम भी व्यापमं घोटाले में डाल दिया जाए...

एक तरफ ललित मोदी है,हर किसी को मिल जाते है,
इधर छुट्टे पैसे है कि, मिल ही नही रहे !
हर कोई टॉफी दिए जा रहा है !

ईश्क" गर्म चाय और दिल बिस्किट..!!
हद से ज्यादा डूबोगे तो टूटोगे....!!

उसके आने की उम्मीद तो है पर भरोसा नहीं,
मेरी नज़रों में अब वो 'काला-धन' सा हो गया है...

उनके लिए बारिश ख़ुशी की बात होगी,
मेरी छत के लिए तो ये एक इम्तेहान है...

उम्मीदें,ख्वाहिशें,ज़रूरतें,जिम्मेदारियां,
मतलब कि....
मैं इस घर में कभी अकेला नहीं रहता...

हमने भी अर्जी दे डाली है मुआवज़े की,
उसके ग़म की बारिश ने खूब तबाह किया है भीतर से...

Saturday 8 August 2015

आखिर कौन हैं ये ओवैसी

आखिर कौन हैं ये ओवैसी और क्या है इनकी पार्टी एमआईएम (MIM) का इतिहास !!!
मुल्क से गद्दारी की ये दास्तान उस दौर की है जब देश को आजाद होने में 20 साल बाकी थे। दक्षिण भारत की रियासत हैदराबाद पर निजाम उस्मान अली खान की हुकूमत थी। उस वक्त नवाब महमूद नवाज खान किलेदार ने 1927 में मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (MIM) नाम के संगठन की नींव रखी थी। इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद हिंसक संगठन के सरगना भी थे। एमआईएम को खड़ा करने में इन रजाकारों की अहम भूमिका थी। रजाकार और एमआईएम ये दोनों ही संगठन हैदराबाद के देशद्रोही और गद्दार निजाम के कट्टर समर्थक थे। यही वजह है कि जब 1947 में देश आजाद हुआ तो हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का कासिम रिजवी और उसके पैरामिल्ट्री संगठन यानी रजाकारों ने जमकर विरोध भी किया था। ये लोग हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे क्योंकि काफिर हिन्दुओं द्वारा शासित मुल्क में रहना इन्हें कतई मंजूर नहीं था।
कौन थे इस पार्टी को खड़ा करने वाले रजाकार..!!
रजाकार हथियार लेकर गलियों में झुण्ड के झुण्ड बनाकर जिहादी नारे लगते हुए गश्त करते थे। उनका मकसद केवल एक ही था। हिन्दू प्रजा पर दहशत के रूप में टूट पड़ना। इन रजाकारों का नेतृत्व MIM का कासिम रिज़वी ही करता था। इन रजाकारों ने अनेक हिन्दुओं को बड़ी निर्दयता से हत्या की थी। हज़ारों अबलाओं का बलात्कार किया था, हजारों हिन्दू बच्चों को पकड़ कर सुन्नत कर दिया था । यहाँ तक की इन लोगों ने जनसँख्या का संतुलन बिगाड़ने के लिए बाहर से लाकर मुसलमानों को बसाया था। आर्यसमाज के हैदराबाद के प्रसिद्द नेता भाई श्यामलाल वकील की रजाकारों ने अमानवीय अत्याचार कर जहर द्वारा हत्या कर दी।
रजाकारों के गिरोह न केवल रियासत के हिन्दुओं पर अत्याचार ढा रहे थे, बल्कि पड़ोस के राज्यों में भी उत्पात मचा रहे थे। पड़ोसी राज्य मद्रास के कम्युनिस्ट भी इन हत्यारों के साथ हो गये। कासिम रिजवी और उसके साथी उत्तेजक भाषणों से मुसलमानों को हिन्दू समाज पर हमले के लिये उकसा रहे थे। हैदराबाद रेडियो से हर रोज घोषणाएं होती थीं।
31 मार्च 1948 को MIM के कासिम रिजवी ने रियासत के मुसलमानों को एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तलवार लेकर भारत पर चढ़ाई करने को कहा। उसने यह भी दावा किया कि जल्दी ही दिल्ली के लाल किले पर निजाम का आसिफ-जाही झण्डा फहरायेगा।
इधर निजाम ने कानून बना दिया था कि भारत का रुपया रियासत में नहीं चलेगा। यही नहीं, उसने पाकिस्तान को बीस करोड़ रुपये की मदद भी दे दी और कराची में रियासत का एक जन सम्पर्क अधिकारी बिना भारत सरकार की अनुमति के नियुक्त कर दिया।
निज़ाम के राज्य में 95 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर मुसलमानों का कब्ज़ा था और केवल 5 प्रतिशत छोटी नौकरियों पर हिन्दुओं को अनुमति थी। निज़ाम के राज्य में हिन्दुओं को हर प्रकार से मुस्लमान बनाने के लिए प्रेरित किया जाता था। हिन्दू अपने त्योहार बिना पुलिस की अनुमति के नहीं मना सकते थे। किसी भी मंदिर पर लाउड स्पीकर लगाने की अनुमति न थी, किसी भी प्रकार का धार्मिक जुलूस निकालने की अनुमति नहीं थी क्यूंकि इससे मुसलमानों की नमाज़ में व्यवधान पड़ता था। हिन्दुओं को अखाड़े में कुश्ती तक लड़ने की अनुमति नहीं थी। जो भी हिन्दू इस्लाम स्वीकार कर लेता तो उसे नौकरी, औरतें, जायदाद सब कुछ निज़ाम साहब दिया करते थे। तबलीगी का काम जोरो पर था और इस अत्याचार का विरोध करने वालों को पकड़ कर जेलों में ठूस दिया जाता था जिनकी सज़ा एक अरबी पढ़ा हुआ क़ाज़ी शरियत के अनुसार सदा कुफ्र हरकत के रूप में करता था। जो भी कोई हिन्दू अख़बार अथवा साप्ताहिक पत्र के माध्यम से निज़ाम के अत्याचारों को हैदराबाद से बाहर अवगत कराने की कोशिश करता था तो उस पर छापा डाल कर उसकी प्रेस जब्त कर ली जाती और जेल में डाल कर अमानवीय यातनाएँ दी जाती थी।
29 नवंबर 1947 को इसी देश के गद्दार निजाम से नेहरू ने एक समझौता किया था कि हैदराबाद की स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी।
नोट – यहाँ आप देख सकते हैं की नेहरु कितने मुस्लिम
परस्त थे की वो देशद्रोहियों से भी समझौता कर लेते थे।
नेहरू के इन व्यर्थ समझौतों और हैदराबाद में देशद्रोही गतिविधियों से तंग आकर 10 सिंतबर 1948 को सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को एक खत लिखा जिसमें उन्होने हैदराबाद को हिंदुस्तान में शामिल होने का आखिरी मौका दिया था। लेकिन हैदराबाद के निजाम ने सरदार पटेल की अपील ठुकरा दी और तब के एमआईएम अध्यक्ष कासिम रिजवी ने खुलेआम भारत सरकार को धमकी दी कि यदि सेना ने हमला किया तो उन्हें रियासत में रह रहे 6 करोड़ हिन्दुओं की हड्डियाँ ही मिलेंगी।
निजाम ने तो एक कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना से सैनिक सहायता की माँग की। इस पर जिन्ना ने जवाब दिया "हिन्दुस्तान में रह रहे एक छोटे अभिजात्य वर्ग के लिए मैं पाकिस्तान को खतरे में नहीं डाल सकता।"
आखिर सरदार पटेल क्रुद्ध हो उठे और भारतीय सेना ने 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद रियासत पर आपरेशन पोलो के नाम से हमला कर दिया तब नेहरू देश में नहीं थे। सेना ने केवल 4 दिनों की लड़ाई में 2,00,000 बहादुर जेहादियों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा और 1373 जेहादियों को 72 हूरों के पास भेज दिया। इससे MIM और उसके रजाकारों की कमर ही टूट गई।
आखिरकार निजाम को झुकना पड़ा और निजाम अपने प्यारे मुल्क पाकिस्तान भाग गया। और अपने पीछे छोड़ गया हजारों पाकिस्तान-प्रेमी मुसलमानों को।
तब सरदार पटेल ने इस एमआईएम को देशद्रोही संगठन मानकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
तब नेहरू यदि देश में होते तो उनकी घनघोर मुस्लिम परस्ती के कारण ऐसा कभी नहीं हो पाता।
आपरेशन पोलो की सफलता के बाद लौह पुरुष सरदार पटेल ने नेहरु को फ़ोन किया और बस इतना ही कहा ” हैदराबाद का भारत में विलय ” ये सुनते ही नेहरु ने वो फोन वही एयरपोर्ट पर पटक दिया ”
वो फोन आज भी संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है...!!
हैदराबाद के भारत में विलय के बाद दिल में पाकिस्तान-प्रेम को दबाये एमआईएम संगठन भी कुछ सालों तक निष्क्रिय पड़ा रहा।
एमआईएम शुरुआत में एक कट्टर धार्मिक संगठन था लेकिन 1957 में इस पार्टी ने एक नयी चाल चली और अपने नाम में ऑल इंडिया जोड़ दिया। मुस्लिम तुष्टिकरण के दीवाने नेहरू को अच्छा मौका मिला और इस पार्टी से भारत सरकार ने प्रतिबंध हटा लिए।
हैदराबाद के खिलाफ भारतीय सेना की कार्यवाही में उस समय MIM पार्टी के अध्यक्ष रहे मौलाना कासिम रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। कुछ समय बाद रिहा होने पर वे भी अपने प्यारे मुल्क पाकिस्तान जाकर बस गए और जाते-जाते पार्टी की कमान उस समय के प्रसिद्ध वकील और आज के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दादा अब्दुल वाहेद ओवैसी को देकर चले गए।
बस तभी से ओवैसी परिवार के हाथों में इस पार्टी की सत्ता कायम है।
मौलाना अब्दुल वाहेद ओवैसी को नफरत फैलाने के लिए 11 महीने तक जेल में रखा गया था। अब्दुल वाहेद को 14 मार्च 1958 को अरेस्ट किया गया था। वाहेद पर हैदराबाद पुलिस ने सांप्रदायिक सद्भावना को भंग करने, मजहबी नफरत फैलाने, स्टेट और देश के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने के आरोप तय किए थे। वाहेद ने 1957 में लगातार 5, 12, 23 और 24 अक्टूबर को नफरत फैलाने वाला भाषण दिया था। इसके बाद 9 जनवरी 1958 को भी वाहेद ने नफरत का जहर उगला था।
वाहेद ओवैसी के बाद सलाहुद्दीन ओवैसी इसके अध्यक्ष बने। और पार्टी ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद विधान सभा के सदस्य बने तब से एमआईएम की ताकत लगातार बढती गई।
बढ़ती हुई लोकप्रियता के साथ साथ सलाहुद्दीन ओवैसी "सलार-ए-मिल्लत" (मुसलमानों के नेता) के नाम से मशहूर हो गये। वर्ष 1984 में वो पहली बार हैदराबाद से लोक सभा के लिए चुने गए साथ ही विधान सभा में भी उस के सदस्यों की संख्या बढती गई।
हालांकि समय-समय पर इस पार्टी ने अपना सांप्रदायिक चेहरा दिखाया इसके बावजूद आज भाजपा को साम्प्रदायिक कहने वाली काँग्रेस ने अलग-अलग समय पर उससे गठबंधन बनाए रखा और वर्षों तक राजनीतिक रोटियाँ सेकते रहे। इसमें आन्ध्रप्रदेश की एक और बड़ी राजनीतिक पार्टी तेलुगू देशम भी थी।
आज सलाहुद्दीन ओवैसी के पुत्र असदुद्दीन ओवैसी इस पार्टी के अध्यक्ष हैं और नफरत की सियासत को सम्भाल रहे हैं। वे अपने पिता के बाद, हैदराबाद से सांसद भी हैं। 1984 से ही हैदराबाद की लोकसभा सीट पर इस परिवार का कब्जा है।
गत पांच दशकों में एमआईएम और उसे चलाने वाले ओवैसी परिवार की ताकत इतनी बढ़ी है कि हैदराबाद पर पूरी तरह उन्हीं का नियंत्रण है। हैदराबाद ओल्ड सिटी इन लोगों का गढ़ है जहाँ 40 फीसदी मुसलमान रहते हैं और इस पार्टी का पुरजोर समर्थन करते हैं। राजनैतिक शक्ति के साथ साथ ओवैसी परिवार के साधन और संपत्ति में भी ज़बरदस्त वृद्धि हुई है जिसमें एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, कई दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी शामिल हैं।
2009 के चुनाव में एमआईएम ने विधान सभा की सात सीटें जीतीं जो की उसे अपने इतिहास में मिलने वाली सब से ज्यादा सीटें थीं।
कांग्रेस के साथ उसकी लगभग 12 वर्षों से चली आ रही दोस्ती में उस समय अचानक दरार पड़ गई जब चारमीनार के निकट एक काफी पुराने भाग्यलक्ष्मी मंदिर के जीर्णोद्धार के विषय ने एक विस्फोटक मोड़ ले लिया। तब कांग्रेस को अपनी हिन्दू विरोधी नीति की पोल खुलने का डर सताने लगा था। जबकि एमआईएम किसी भी हाल में वहाँ काफिरों का पूजास्थल बनने नहीं देना चाहती थी। वह सांप्रदायिक दंगे फैलाना चाहती थी और इसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हो गई थी जिसकी वजह से पुराने हैदराबाद में तनाव काफी बढ़ गया था।
ओवैसी भाईयों के लगभग हर भाषण में सम्प्रदायिक तनाव भड़काने वाली बातें मौजूद होती हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने धमकी दी कि अगर मुसलमानों के साथ मोदी सरकार की विरोधी नीति और संघ परिवार का ‘घर वापसी’ कार्यक्रम जारी रहा तो देश को एक और विभाजन के लिए तैयार रहना चाहिए।
मोदी में दम है तो हैदराबाद आ के दिखाए ।
अगर आसाम में बंगलादेशी मुसलमान घुसपैठिये है,
तो क्या हुआ ???
असदुद्दीन ओवैसी मोदी के उस कथन का पुरजोर विरोध करते हैं जिसमें उन्होनें भारत के 1000 साल की गुलामी के बारे में कहा था।
(शायद इनको लगता है कि अय्याश, हत्यारे और लुटेरे विदेशी मुस्लिम हमलावर ही उनके ही पूर्वज थे)
असदुद्दीन ओवैसी ने अहमदाबाद में मोदी से मिलने पर अभिनेता सलमान खान को "हरामी" करार दिया। इन्होने मोदी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि “ इन्हें वह ‘हरामी’ पसंद है जो नाचने गाने वाला है”। उन्होंने सलमान को धमकी देते हुए कहा कि “याद रख कि जब तू जायेगा कब्रिस्तान में तो तुझे मालूम होगा कि तू कौन हीरो था”।
एक ओर जहाँ बड़े भाई सांसद असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों को अत्यंत पीड़ित बताकर उसकी आड़ में लगातार साम्प्रदायिक भावना को भड़काने वाले बयान देते रहे हैं वहीं उनके छोटे भाई विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी तो "बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभानअल्लाह" वाली कहावत को चरितार्थ करते दिखाई देते हैं।
2007 में अकबरूद्दीन ओवैसी ने फतवा जारी किया था ‍कि अगर सलमान रश्दी और तस्लीमा नसरीन कभी हैदराबाद आते हैं तो उनकी गर्दन काट दी जाए।
2011 में कर्नूल में एक रैली में उन्होंने आंध्र विधान सभा को कुफ्रस्तान और हिन्दू विधायकों को काफिर बताया था।
इसी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री राव को हत्यारा, दरिंदा, बेईमान, धोखेबाज और चोर बताया था और कहा कि अगर नरसिंह राव अपने आप न मर गए होते तो वे अपने हाथों से उन्हें मार देता।
ओवैसी ने बाब रामदेव की भी खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि यह योगा गुरू इंकम टैक्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट का विशेषज्ञ बन गया है।
उसने ये भी कहा- मुसलमानों को काबिलियत से नहीं बल्कि रिज़र्वेशन की बुनियाद पर सरकार में भर्ती करो!
अकबरुद्दीन ओवैसी ने 24 दिसम्बर 2012 को आदिलाबाद के निर्मल टाउन में एक जलसे में टीवी कैमरों और मीडिया की मौजूदगी में एक ऐसा भाषण दिया जिसे सुनने के बाद सहसा यकीन नहीं होता कि हिन्दुस्तान में इस्लाम इस रूप में भी संगठित हो रहा है। अकबरूद्दीन ओवैसी ना सिर्फ MIM के वरिष्ठ नेता हैं बल्कि वे आंध्र प्रदेश विधानसभा के माननीय विधायक भी हैं। लेकिन इसके भाषण को सुनकर यही लगता है कि शरीर हिन्दुस्तान में तो है पर दिल पाकिस्तान में ही बसता है। उन्होने जो कुछ कहा वह न सिर्फ गैर कानूनी है बल्कि सीधे सीधे देशद्रोह का मामला है।
ओवैसी ने अपने भाषण में न सिर्फ हिन्दोस्तान को यह कहते हुए चैलेन्ज किया कि तेरी आबादी सौ करोड़ है और हम मुसलमान सिर्फ 25 करोड़ हैं। बल्कि साथ में यह भी कहा कि 15 मिनट के अपनी पुलिस हटा ले तो हम बता देंगे कि कौन ज्यादा ताकतवर है, तेरा 100 करोड़ हिन्दुओं का हिन्दोस्तान या हम 25 करोड़ मुसलमान।
जब ओवैसी ने यह कहा तो वहां मौजूद करीब बीस से पच्चीस हजार की संख्या में उपस्थित मुसलमानों ने जमकर 'नारा-ए-तदबीर, अल्ला हो अकबर' के नारे लगाये और ओवैसी का समर्थन किया।
पूरे हिन्दोस्तान को धमकी देते हुए अकबरूद्दीन ओवैसी ने कहा कि ''अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो तबाही और बर्बादी पूरे हिन्दुस्तान का मुस्तकबिल (भाग्य) बन जाएगी।''
अपने भाषण में ओवैसीन ने आतंकवादी अजमल कसाब को न सिर्फ बच्चा बताया बल्कि उसकी फांसी के बदले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के फांसी की भी मांग की।
ओवैसी ने अपने भाषण में जिस तरह से कसाब को बच्चा बताकर संबोधित किया और फांसी का आधार आतंकी गतिविधि नहीं बल्कि पाकिस्तानी और मुसलमान होना बताया, वह निश्चित ही हैरान करनेवाला था।
ओवैसी ने पूरे हिन्दुस्तान के मुसलमानों का आह्वान किया है कि "ये आंध्रा का मुसलमान सारे हिन्दुस्तान के मुसलमानों को पैगाम देता है कि अगर आंध्रा के मुसलमानों की तरह हिन्दुस्तान के पच्चीस करोड़ मुसलमान मुत्तहिद हो जाएगा तो खुदा की कसम बहुत जल्द मोदी तख्ते पर लटकता हुई हमको दिखाई देगा।"
बोलते बोलते ओवैसी ने मोदी को फांसी को फांसी की मांग तो की ही लेकिन यह भी बोल गये कि अगर इस देश का मुसलमान एक हो जाए तो खुदा कसम इस देश का मुस्तकबिल मुसलमान लिखेगा।
अपने भाषण के दौरान उन्होंने न सिर्फ मुंबई बम धमाकों को यह कहते हुए जायज ठहराया कि यह बाबरी मस्जिद को शहीद करने का रियेक्शन था बल्कि बंबई बम धमाकों में सजा दिये जाने पर भी सवाल खड़ा किया।
ओवैसी ने चारमीनार को मस्जिद बताते हुए वहां देवताओं का मंदिर बनाने को भी चुनौती दी और हिन्दू देवता राम को भी बुरा भला कहा।
राम के जन्म को चुनौती देते हुए ओवैसी ने कहा कि यहां सौ दो सौ साल की तारीख का पता नहीं और ये अठारह लाख साल पुरानी तारीख से राम जन्मभूमि पर दावा कर रहे हैं।
ओवैसी ने अपने भाषण में बीजेपी, आरएसएस को जहरीला सांप भी बताया। और कहा कि मुसलमानों को उन्हें कुचल देना चाहिए।
तुम हिन्दू आवारा हो!
हिन्दू साँप हैं। इनको कुरान और नमाज़ की लाठी से मारो!
हर आठ दिन में हिन्दुओं का एक नया भगवान पैदा हो जाता है!
हिन्दू देवताओं के नाम तक मनहूस हैं!
ओवैसी ने भगवान श्रीराम की माता कौशल्या पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि
"आखिर राम की मां न जाने कहां कहां गई और राम किधर पैदा हुआ।"
ओवैसी ने कहा- मैनें हाथ में माइक की जगह कुछ और पकड़ा तो पुरे हिन्दुस्तान में ऐसा खूनखराबा करूँगा जो पिछले हजार सालों में भी नहीं हुआ होगा ।
अगर सउदी अरब वापस गए तो खाली हाथ नहीं जाएँगे !! तख्तो ताज लेकर जायेंगे! तुम्हारे पास क्या बचेगा ??
आइन्दा मुझे फोन करो तो ये बोलना कि ऐसा हुआ था तो मैंने ऐसा कर कर लिया....तब गर्व होगा मेरे को कुछ बड़ा कांड करके दिखाओ तो!!
खुदा के लिए मुसलमान हिंदुस्तान में तबाही और बर्बादी ला देंगे !
गाय पर अभद्र भाषा :
" बड़ा मजा आता है गाय को खाने में...होगी तुम्हारी माता...!! "किसी दिन तुम हिंदू भी खाकर देखो...कैसा स्वाद है..हम मुस्लिम तो मजे के लिए कुछ भी कर सकते है!
ऐ हिन्दोस्तान तेरी तबाही और बर्बादी तेरा मुस्तकबिल बन जाएगा!
हैदराबाद तक सीमित एमआईएम अब अपनी पार्टी का देशभर में जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। हाल में ही उन्होंने लखनऊ में अपनी पार्टी का एक कार्यालय खोला है। दिल्ली, पटना, रांची, कोलकाता एवं गुवाहाटी में पार्टी के नए कार्यालयों को खोलने की तैयारी चल रही है।
अकबरूद्दीन को हैदराबाद ओल्ट सिटी का बाहुबली माना जाता है। वह पहली बार तब सुर्खियों में आया था जब उसने प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन को जान से मारने की बात कही थी।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसी नीच बातें करने वाले दोनों भाई पढ़े-लिखे हैं। अकबरूद्दीन ओवैसी ने तो बकायदा लंदन से बैरिस्टरी की पढ़ाई की है। परन्तु दुनियाँ जानती है कि ये चाहे जितने भी पढ़े-लिखे हों, जहाँ मजहब की बात आती है वहाँ सारी पढ़ाई घास चरने चली जाती है। जैसा कि आतंकवादी याकूब मेनन के जनाज़े में लाखों की भीड़ देखकर वैसे ही पता चल जाता है।
ओवैसी वैसे तो हैदराबाद के पॉश बंजारा हिल्स इलाके में रहते हैं लेकिन उनकी राजनीति की जड़ें ओल्ड सिटी में हैं जहां की 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है जो केवल मजहब के नाम पर एकजुट होकर इनका पुरजोर समर्थन करते हैं।
वक्फ बोर्ड और मुस्लिम शिक्षा संस्थानों में इन दोनों की मजबूत पकड़ है।
देश के बँटवारे के वक़्त तक एमआईएम अलग मुस्लिम राज्य के लिए मुस्लिम लीग के साथ रहा था। वही मुस्लिम लीग जिसने मजहब के नाम पर दस लाख भारतीयों की लाशों पर देश के दो टुकड़े किये।
फिर MIM पार्टी का तो जन्म ही मुस्लिम लीग के समर्थन से हुआ था। ये लोग तब भी अलग मुस्लिम राष्ट्र और पाकिस्तान का समर्थन करते थे और आज भी ओवैसी वही भाषा बोल रहे हैं जो कभी पाकिस्तान बनने से पूर्व मोहम्मद अली जिन्ना बोला करता था। जैसी इनकी भाषा है एवं जैसा कट्टर अलगाववादी इनका इतिहास है उससे तो यही लगता है कि हम आँखें मूँदकर बैठे हुए हैं और अन्दर ही अन्दर इस देश के एक और विभाजन की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

Haan hasi ban gaye

Pehchaante hi nahi ab log tanha mujhe
Meri nigaahon mein bhi hai dhoondte wo tujhe
Pehchaante hi nahi ab log tanha mujhe
Meri nigaahon mein bhi hai dhoondte wo tujhe
Hum the dhoondhte jise wo kami ban gaye
Tum mere ishq ki sar-zameen ban gaye...
Haan hasi ban gaye
Haan nami ban gaye
Tum mere aasmaan 
Meri zameen ban gaye...
i love this song...

Happy Friendship Day

बड़ी अजीब सी 'बादशाही' है दोस्तों के प्यार में.....
ना उन्होंने कभी कैद में रखा....न हम कभी 'फरार' हो पाए...
Happy Friendship Day to all my dear friends.....

Saturday 1 August 2015

मन की बात : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

मन की बात : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम , एक महान शख्शियत , एक ऐसा महापुरुष , जिसने हमारी जिंदगी को कई मायने दिए---
मूल्यों और इंसानियत को विज्ञानं से जोड़ने वाले कलाम साहब आज हमारे बीच नही हैं,लेकिन उनकी अलख की जगाई हुयी रोशनी में ही भारत विकास की राह पर चल पड़ा है,जब-जब विकास भारत की बातें होंगी सबसे पहले कलाम साहब याद आएंगे | वह कभी नन्हे मुन्नों की चमकती आँखों में,तो कभी युवाओं के सपनो में और कभी बुजुर्गों की उम्मीदों में हमेशा अमर रहेंगे.......
जय हिन्द , जय भारत कलाम साहब
कलाम साहब कहते थे कि हर एक इंसान को सभी धर्मों को छोड़कर सिर्फ इंसानियत का धर्म अपनाना चाहिए......
कोई अलग जाति नही होनी चाहिए सिर्फ आपके नाम के आगे इंसान लगा होना चाहिए और मैं भी उनकी इस बात से शत प्रतिशत सहमत हूँ....
वो कहते थे कि अपनी पहली जीत के बाद आराम से मत बैठो क्योंकि यदि आप दूसरी बार विफल हुए तो लोग कहेंगे की आपकी पहली जीत किस्मत से मिली थी......

देख ले देशद्रोही ओवैसी और आज़म खान ,
आज पूरा देश एक सच्चे मुसलमान के लिए रो रहा है।
बात मुस्लमान की नहीं देश के साथ इमान की है।
जाति-धर्म से फरक नहीं पड़ता हमको, हम दिल से करते है सलाम...
जो कर गये देश के नाम जिन्दगी, वो देश भक्त थे "कलाम"...!!

इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है

इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है,
मैं उसके शहर में बंद मकान की तरह हूँ...

हैरान कर दिया, उसने आंसुओं की वजह पूछकर,
जो शख्स कभी मुझको, मुझसे ज्यादा जानता था...

जरा सी बारिश हुई नही,
कि अखबार में भीगी लडकियों की
तस्वीरें छपने लगीं
*
*
*
जैसे हम लड़के तो ‪Waterproof‬ पैदा हुए हैं...

मुझे इतना भी मत घुमा ए जिंदगी...
मै 'शहर का शायर' हूँ ,
"MRF का टायर" नहीं....

किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तनहाई में..
मैंने कहा कुछ पूराने रास्ते, 
वो प्यारा बचपन ,
कुछ कमीने दोस्त,
और एक लडकी और उसकी बेरुखी!!!

लम्बे- लम्बे नाख़ून रखने वाली लडकियों को,
बिना लाइसेंस अवैध हथियार रखने के जुर्म में,
कठोर कारावास तो होना ही चाहिए...

हमने तो उस शहर में भी किया है इंतज़ार तेरा,
जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था...!!