Tuesday 27 October 2015

उससे दूर जाने की हर कोशिश नाकाम हुई

खामोश हूँ मुझे बुझदिल न समझ,
समन्दर हूँ मै दरिया न समझ,
मिलते है जाने कितने तूफाँ वाले मुझमे,
लहरो का जलजला है मुझमे निहतथा न समझ...

उससे दूर जाने की हर कोशिश नाकाम हुई,
जैसे रोके रुक ना सका पल,
और हर सुबह की शाम हुई...

" ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर, 
कभी मेरी आँखों से आकर पूछ,कि कितनी हसीन है तू "...

ए खिलौने वाले...
सुन इस तरफ ना आया कर,
उस मजदूर माँ का बच्चा
फिर रोते रोते "भूखा" सो जाता है...!!

कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना ए "गुरु",
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है...!!

ना चाहत के अंदाज़ अलग, 
ना दिल के जज़्बात अलग,
थी सारी बात लकीरों की, 
तेरे हाथ अलग,मेरे हाथ अलग...

सुबह से कह दो, आज जरा रूक कर आये...
गरीब का बच्चा भूख से लड़ कर अभी सोया है...!!

धाक उसकी सैकड़ों पे थी,
गिनती भी उसकी शहर के बड़े-बड़ों में थी,
दफन वो केवल छ: फिट के गड्ढे में हुआ,
जबकि जमीन उसके नाम तो कई एकड़ों में थी...

जब जब दर्द का बादल छाया

जब जब दर्द का बादल छाया, जब गम का साया लहराया,
जब आंसू पलकों तक आया, जब ये तन्हा दिल घबराया,
हमने दिल को ये समझाया, कि दिल आखिर तू क्यों रोता है,
दुनिया में यूँही होता है,
ये जो गहरे सन्नाटे हैं, वक़्त ने सबको ही बांटे हैं,
थोड़ा गम है सबका किस्सा, थोड़ी धूप है सबका हिस्सा,
आग तेरी बेकार ही नम है, हर पल एक नया मौसम है,
क्यों तू ऐसे पल खोता है, दिल आखिर तू क्यों रोता है...!!
---------------शुभम सचान "गुरु"-----------------

कहते हैं कब्र में सुकून की नींद होती है

लोग इन्सान देखकर मोहब्बत करते हैं,
मैने मोहब्बत करके इन्सानों को देख लिया।

खामोशी से बिखरना आ गया है,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है...!!
अब किसी को बेवफा नहीं कहते हम,
हमें भी अब बदलना आ गया है...!!
अब किसी की याद में नहीं रोते हम,
हमें अब चुपचाप जलना आ गया है...!!
गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें अब कांटों पे चलना आ गया है...!!

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी,
चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया...

कहते हैं कब्र में सुकून की नींद होती है,
अजीब बात है कि
यह बात भी जिन्दा लोगों ने कही...!!

चलो ये भी ठीक है...शायद यूँ ही कटेगा अब सफ़र,
तुम वहाँ से याद करना, हम यहाँ पर मुस्कुराएँगे...!!

Saturday 10 October 2015

एक बात होंठो तक है जो आयी नही

एक बात होंठो तक है जो आयी नही, बस आँखों से है झांकती,
तुमसे कभी, मुझसे कभी, कुछ लफ्ज़ हैं वो मांगती,
जिनको पहन के होंठो तक आ जाये वो,
आवाज़ की बाँहों में बांहे डालके इठलाये वो,
लेकिन जो ये एक बात है, एहसास ही एहसास है,
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती, खुशबू जो बेआवाज़ है,
जिसका पता तुमको भी है, जिसकी खबर मुझको भी है,
दुनिया से भी छुपता नही, ये जाने कैसा राज़ है...!!
----------------शुभम सचान "गुरु"-----------------

Thursday 1 October 2015

एक मशवरा चाहिये था साहब

सुनो ना, मेरी एक छोटी सी इच्छा है, एक टेबल, दो कॉफी, मैं और तुम...

दर्द हल्का हैं साँसे भारी हैं,जिए जाने की रस्म जारी है...!!

देख मेरे प्यार की इंतिहा,
तेरी गलतियों पर भी तुझे मनाने आया हूँ!!

बेवजह है, तभी तो मोहब्बत है...
वजह होती तो साजिश होती...!

ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा,
जो रोक ली मैंने अपनी साँसें तो तू भी चलना पायेगी…

एक मशवरा चाहिये था साहब.?
दिल तोड़ा है इक बेवफा ने...!!
अब जान दूँ या जाने दूँ...

खूबसूरती से तो सब प्यार करते है..!!
पर...
हमने तो उसे खूबसूरत बनाकर प्यार किया था..!!

ना ढूँढ मेरा किरदार दूनिया की भीड़ में,
वफादार हमेशा तन्हा ही मिलते हैं...

चलते - चलते मेरे कदम अक्सर यही सोचते हैं कि,
किस तरफ जाऊं जो मुझे तू मिल जाये...!!

सोचता हूँ...टूटा ही रहने दूँ...इस दिल 💔 को... 
शायरी भी हो जाती है...और जीत भी लेता हूँ कई दिलों को...

वो तो खुद के दिल का सवाल था कि,
हम तेरे हो गए पगली,वरना
कई दिल तोड़े हमने इक ' ना ' बोलकर...

नफ़े नुक्सान की बात क्या करते हो इश्क़ में,
अरे इश्क़ है...धंधा नहीं...!!

लौट जाते फिर से उसके पास मगर क्या फायदा???
न दिल रहा, न प्यार रहा, न दिल को उस पे ऐतबार रहा...