Tuesday 27 October 2015

जब जब दर्द का बादल छाया

जब जब दर्द का बादल छाया, जब गम का साया लहराया,
जब आंसू पलकों तक आया, जब ये तन्हा दिल घबराया,
हमने दिल को ये समझाया, कि दिल आखिर तू क्यों रोता है,
दुनिया में यूँही होता है,
ये जो गहरे सन्नाटे हैं, वक़्त ने सबको ही बांटे हैं,
थोड़ा गम है सबका किस्सा, थोड़ी धूप है सबका हिस्सा,
आग तेरी बेकार ही नम है, हर पल एक नया मौसम है,
क्यों तू ऐसे पल खोता है, दिल आखिर तू क्यों रोता है...!!
---------------शुभम सचान "गुरु"-----------------

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