काश!!!! रोज होता हिंन्दुस्तान-पाकिस्तान का मैंच,
कुछ पल तो तेरी याद के बिना मैं फुर्सतं से काट लेता...
रख रख के दिल में नफ़रत के बम,
पगली तूने दिल को पाकिस्तान बना लिया..
बड़ी उम्मीदों से मैं देखता हूँ उसको,भारत पाक का जैसे मैच कोई...
इश्क़ में न जाने कब,क्या,कैसे हो जाए,वेस्टइंडीज़ आयरलैंड का जैसे मैच कोई...
बात उससे प्यार की आगे ही नहीं बढ़ती कभी,उम्र अफ्रीदी की जैसे कोई...
छोड़ दे ये ज़िद दूरियों की,कैच हो जैसे अकमल का कोई...
कन्धों न जाने उसकी कितनी मजबूरियाँ है,कप्तान मिस्बाह जैसे पाकिस्तान का कोई...
दूरियाँ इस कदर बढ़ गयी उससे,मोहम्मद इरफ़ान का कद जैसे कोई...
रात होते ही न जाने कितने तारे निकल आये हैं,गालियाँ जैसे भारत पाक मैच में कोई...
बड़ी देर लगा दी मोहब्बत के इज़हार में,पिच पर दौड़ता इंज़माम जैसे कोई...
बस एक बार ही पलट कर देखा था उसने,पाक का जीता जैसे वर्ल्ड कप कोई...
ज़माना खूब हँसा मुझ पर,मैं जब जब गिरा राहों में पाकिस्तान का जैसे विकेट कोई...
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-------------------------शुभम सचान "गुरु"------------------------