Saturday 10 October 2015

एक बात होंठो तक है जो आयी नही

एक बात होंठो तक है जो आयी नही, बस आँखों से है झांकती,
तुमसे कभी, मुझसे कभी, कुछ लफ्ज़ हैं वो मांगती,
जिनको पहन के होंठो तक आ जाये वो,
आवाज़ की बाँहों में बांहे डालके इठलाये वो,
लेकिन जो ये एक बात है, एहसास ही एहसास है,
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती, खुशबू जो बेआवाज़ है,
जिसका पता तुमको भी है, जिसकी खबर मुझको भी है,
दुनिया से भी छुपता नही, ये जाने कैसा राज़ है...!!
----------------शुभम सचान "गुरु"-----------------

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