Tuesday 19 January 2016

किस उम्मीद में बैठा है "ए दिल"

जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
मेरी बेवफायी से ही मर जाओगे या मार के जाऊ!!

तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही...!!

वो एक मौका तो दे मुझें बात करने का दोस्तों,
मैं उसे ही रूला दूँगा,
उसी के दिये हुये दर्दं सुनाकर...!!

As the new year going to start.
I wish may the good times,
live on in our memories.
and may we learn lessons,
from the troubling times.
That will make us stronger
and better than ever.

Before the calendar turns a new leaf over, before the social networking sites get flooded with messages, before the mobile networks get congested, let me take a quiet moment out to wish you a wonderful, happy, healthy and
prosperous New Year.

किस उम्मीद में बैठा है "ए दिल"...
कि तुझे भी कोई "नया साल मुबारक हो" ये कहेगा,
"अरे पागल" जिसके बारे में तू सोंच रहा है,
वो किसी और के "नये साल" की सुबह बन चुकी है !!

तुम्हारी याद और सर्दियों का ये मौसम,
लोग ठिठुरते होंगें...
पर... मैं सुलगता रहता हूँ...!!

फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें...
क्यों ख्वाब में इतने पास आ जाती हो तुम...

बिखरा वजूद,टूटे ख्वाब,सुलगती तन्हाइयाँ, कितने हसीन तोहफे दे जाती है...
ये अधूरी मोहब्बत...!!

उन आँखों की दो बूंदों से समन्दर भी हारे होंगे,
जब मेहँदी वाले हाथो ने मंगलसूत्र उतारे होंगे..
पठानकोट शहादत को नमन...

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