Tuesday 21 July 2015

बड़ा गुमान था हमें अपने यार पे ए-साकी

बड़ा गुमान था हमें अपने यार पे ए-साकी,
कि उस जैसा इस जहाँ में कोई नही,
पर ये न सोंच उसकी मासूमियत के आगे,
सवार तो उसी नाव में कर रहा हूँ,
जिसमे बेवफाई के हज़ारों छेद कर रखे हैं उसने...

--------------शुभम सचान "गुरु"---------------

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