Monday 20 July 2015

ए चाँद तू किस मजहब का है

आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी,
जब हम न होंगे तब हमारी बातें होंगी,
कभी पलटोगी जिंदगी के ये पन्ने,
तब शायद तुम्हारी आँखों से भी बरसात होगी...

ए चाँद तू किस मजहब का है,कि
ये ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा...

I'm not Single and I'm not Committed.
I'm simply on reserve for the ONE Who deserves.

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