Saturday 27 February 2016

सोंच रहा हूँ शायरी लिखना बंद कर दूँ

सोंच रहा हूँ शायरी लिखना बंद कर दूँ अब मैं यारों...
मेरी शायरी की वजह से दूसरों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते...!!

न कर जिद ए दिल अपनी हद में रह,
वो बड़े लोग हैं,अपनी मर्जी से याद करते हैं...!!

कहाँ मिलता है कोई समझने वाला,
जो भी मिलता है...
समझा के चला जाता है...!!

कल रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया,
सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी कभी...!!

दिन में काम नहीं सोने देता,
और रात में एक नाम नहीं सोने देता...!!

आज महिफल शांत कैसे है,
जख्म भर गये...या फिर
मोहब्बत फिर से मिल गयी...!!

मैं तेरा कोई नहीं मगर इतना तो बता,
ज़िक्र से मेरे,तेरे दिल में आता क्या है???

लड़का होना भी कोई आसान बात नही होती,
दिल टूटने के बाद भी खुश रहना पड़ता है
दुनिया के सामने...!!

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