Saturday 13 June 2015

पहले बिठाया पलकों पर फ़िर एक पल में ठुकरा दिया


पहले बिठाया पलकों पर फ़िर एक पल में ठुकरा दिया,
हालत मेरी इश्क़ में मैगी जैसी हो गयी है...

मुझे ब्रेकअप की बस एक वजह चाहिए थी,
और वो पगली टिफिन में मेरे लिए मैगी ले आई...

एक मैगी थी भूख और दुःख का साथी,
अब पता चला वो भी साली बेवफा निकली,
लड़कियों के जैसी नाम वाली हर चीज बेवफा होती है...

शायद इश्क उतर रहा है सिर से,
अब मुझे अलफ़ाज नहीं मिलते शायरी के लिए...

हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम,
फिर वही शायरी,फिर वही इश्क,फिर वही तुम...

ना तस्वीर है उसकी जो दिदार किया जाये,
ना पास है वो जो उससे प्यार किया जाये,
ये कैसा दर्द दिया उस बेदर्द ने,
ना उससे कुछ कहा जाये..ना उसके बिन रहा जाये...

काश ऐसा हो के अब के बेवफाई मै करूँ,
शायरी लिखे वो ओर वाह वाह मै करूँ...

तेरी चाहत का ऐसा नशा चढ़ा है,कि
शायरी हम लिखते है,और दर्द पूरे पेज मेंबर सहते हैं।

इश्क के रिश्ते भी बड़े नाजुक होते है साहब,
रात को नम्बर बिजी आने पर भी टूट जाते हैं...

दो पंछी सोच समझ कर एक दुसरे से अलग हुए पर फिर भी वो मर गए,
पता है क्यों? क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था,
नजदीकियां पहले "आदत",फिर "जरुरत",
और फिर "ज़िन्दगी" ही बन जाती है...

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