जाने किसकी तलाश उनकी आँखों में थी,
आरज़ू के मुसाफिर भटकते रहे,
जितने भी वो चले, उतने ही बिछ गए राह में फासले,
ख्वाब मंजिल थे और मंजिले ख्वाब थी,
रास्तों से निकलते रहे रास्ते,
जाने किस वास्ते आरज़ू के मुसाफिर भटकते रहे...
----------------शुभम सचान "गुरु"----------------
https://www.facebook.com/MeriYaadeOfficial
https://twitter.com/shubhamgmp
https://instagram.com/shubhgmp/
आरज़ू के मुसाफिर भटकते रहे,
जितने भी वो चले, उतने ही बिछ गए राह में फासले,
ख्वाब मंजिल थे और मंजिले ख्वाब थी,
रास्तों से निकलते रहे रास्ते,
जाने किस वास्ते आरज़ू के मुसाफिर भटकते रहे...
----------------शुभम सचान "गुरु"----------------
https://www.facebook.com/MeriYaadeOfficial
https://twitter.com/shubhamgmp
https://instagram.com/shubhgmp/
No comments:
Post a Comment