Saturday 28 November 2015

कितना खूबसूरत इलज़ाम लगा दिया मुझ पर

मोहब्बत भी ठंड के जैसी हैँ साहब,
लग जायेँ तो बीमार कर देती है...!!

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर...
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते है…!!

वो लौट आयी मेरी ज़िंदगी में अपने मतलब के लिये,
और मैं ये सोंचता रहा कि मेरी दुआओं में दम था...!!

उसके ख्वाबों का भी है शौक,
उसकी यादों में भी मज़ा...
समझ में नही आता,
सो जाऊँ की उसे याद करूँ...??

अब शिक़ायत तुझसे नहीं ख़ुद से है,
माना कि सारा फ़रेब तेरा था पर यक़ीन तो मेरा था...!!

तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं,
फिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी...??

एक बात पूछें तुमसे...जरा दिल पर हाथ रखकर फरमाइयेगा,
जो इश्क़ हमसे सीखा था..अब वो किससे करती हो...??

कितना खूबसूरत इलज़ाम लगा दिया मुझ पर...
आँखों में खुद बसी हैं मेरे और कहती हैं मैंने सोने न दिया...!!

बहुत रोका लेकिन रोक नहीं पाया,
मोहब्बत बढ़ती गई मेरे गुनाहों की तरह...

तुझे हर बात पर मेरी जरुरत पङती,
काश मै भी एक झूठ होता....!!

आज मेरी ‪#‎Teacher‬💃
बोली तू इतना Attitude दिखाएगा,
तो पढ़ 📝
 नही पाएगा,
मैने कहा ‪#‎मैडम‬ जी अगर मैंने Attitude दिखाया,
तो आप पढ़ा नहीं पाएँगी...

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