शायर बना दिया अधूरी मोहब्बत ने...
मोहब्बत अगर पूरी होती तो हम भी एक ग़ज़ल होते...
इंटरनेट से सारी ब्राउज़र हिस्ट्री डिलीट,
और व्हाट्सप्प से गैलरी एंड वीडियोज़,
बस हो गयी हमारी दिवाली की साफ़ सफाई...
हैप्पी साफ़ सुथरी दिवाली...
कह दो अंधेरों से कहीं और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है...
चाहे पूरे साल भले ही पड़ोसियों को मुंह न दिखाए,
पर दिवाली के दिन उनके घर मिठाईयां खाने जरूर जाये...
हैप्पी दीपावली...
वो हमसे इस कदर नाराज़ हुए बैठी है,
समझ नही आता कि,
उसे मनाए या फिर दिवाली..!!!
यूँ तो वजह बहुत हैं मेरे रूठ जाने की,
मगर...
इस ख्याल से चुप हूँ कि मनायेंगा कौन...??
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