Sunday 12 April 2015

तज़ुर्बा मेरा लिखने का


तज़ुर्बा मेरा लिखने का बस इतना सा है यारों
शायर सुनते है वाह वाह अपनी ही तबाही पर..
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----------------शुभम सचान "गुरु"----------------

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