"अपनी साँसों से बिछड़ सकता हूँ जानां लेकिन
गैर मुमकिन है कि अब तुझसे जुदा हो जाऊँ
तू फरिश्तों की तरह हाथ उठाये रहना
मैं तेरे इश्क़ में शायद की ख़ुदा हो जाऊँ ..."
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-----------------शुभम सचान "गुरु"---------------
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