शायरों की महफ़िल में बात चली एक दीवाने की
दिन रात जलने वाले एक पागल परवाने की
मैंने सोचा कोई और होगा ये सरफिरा
देखा तो ऊँगली मेरी तरफ उठी ज़माने की...
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-----------------------शुभम सचान "गुरु"------------------------
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