Saturday 11 April 2015

चलो एक कंकड फेंकते हैं


चलो एक कंकड फेंकते हैं ख्यालों के दरिया में...
कुछ खलबली मचे,अहसास तो हो कि जिन्दा हैं हम....
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------------------------शुभम सचान "गुरु"-------------------------

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